कविता : महा पाप....
एक आदमी जा कर
बकरा खरीद लाया
उसे बांध उसको
घांस दाना खिलाया
फिर आस पास के
लोगों को बुलाया
बाद में एक कसाई
भी वहां आया
थोड़ी देर बाद कसाई ने
बकरे को काट झटका दिया
उसे कुछ देर के लिए एक
छोटा पेड़ पर लटका दिया
फिर बाद में उसके छोटे
छोटे टुकड़े कर काटा गया
सभी उपस्थित लोगों को
आ - आपस में बांटा गया
कुछ मांस फिर
बकरे का पकाया गया
सभी को एक एक
कर भाग लगाया गया
शराब की बोतल भी
वहां पर मंगाया गया
सभी लोग मिल उसका
मांस मजे से खाया गया
ये निर्मम हत्या
एक महा शाप है
क्या कहें क्या न कहें
यही तो महा पाप है
क्या कहें क्या न कहें
यही तो महा पाप है.......
netra prasad gautam