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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

अब तुम आ गए हो तो

कई बरस बीत गये चैन की नींद सोये,
आज चैन से सोना चाहती हूॅं।
अब तुम आ गये हो तो
कुछ पल के लिए सुकून से जीना चाहती हूॅं।।

कई बरसों से तन्हाईयाॅं खाये जा रही थी मुझे,
आज साथ तेरे रहना चाहती हूॅं।
अब तुम आ गये हो तो
कुछ पल के लिए बाॅंहों में तेरी खोना चाहती हूॅं।।

कई बरस बीत गये चेहरे पर उदासी छाई रहती है,
आज मुस्कुराना मैं चाहती हूॅं।
अब तुम आ गये हो तो
कुछ पल के लिए तुम्हारे साथ हॅंसना चाहती हूॅं।।

कई बरस बीत गये डर - डर के जीते हुए,
आज डर को भगाकर जीना चाहती हूॅं।
अब तुम आ गये हो तो
कुछ पल के लिए बिना डर के बेफ़िक्र रहना
चाहती हूॅं।।

कई बरस बीत गये रोते-रोते,
आज आंसुओं को पोंछना चाहती हूॅं।
अब तुम आ गये हो तो
कुछ पल के लिए खुश रहना चाहती हूॅं।।

"रीना कुमारी प्रजापत"




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

रमेश चंद्र said

बहुत सुंदर कहा

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद!

Bhushan Saahu said

आप बहुत सुंदर लिखती हैं मां सरस्वती अपना आशीर्वाद आप पर बनाए रखें

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत आभार आपका भूषण साहू सर 🙏

Lekhram Yadav said

Well said my dear sis, l prey to God to give opportunity to live with happiness in the rest of life.

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏

Amit Shrivastav said

Bahut achii rachna... Keep it up

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया

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