त्योहारों की महक हवा में ऐसे मिल गई
कि न तो अब ये किसी धर्म से जुड़े लगते हैं
न ही इनमें अब कोई अंधविश्वास नज़र आता है
ये तो खुशियाँ बिखेरने आते हैं
जो संस्कार बन कर आते हैं
और हमें हमारी संस्कृति से जोड़ कर कुछ छूटे हुए अपनों से भी जोड़ जाते हैं ..
वन्दना सूद