जीवन में उत्सव है तुम्हारी वज़ह से।
मन बना सिकंदर तुम्हारी वज़ह से।।
हौसलों ने ख्वाहिशें नही छोड़ी आज।
आशा की डोर मजबूत तेरी वज़ह से।।
जिंदगी की रंगशाला में पाठ्यक्रम तेरा।
प्यास खत्म ही नही होती तेरी वज़ह से।।
मनमौजी थी और आज भी दिखती हूँ।
चेहरे पर चमक 'उपदेश' तेरी वज़ह से।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद