मुझे मेरी तक़दीर से फ़क़त इतनी शिक़ायत है
क्यों खाली रहा दामन मेरा दिल बहुत आहत है
मुस्कुराने की कोशिशें कामयाब न हो सकी
ग़म है उम्र भर का मेरे लिए यही क़यामत है
उन्हीं यादों के सहारे गुजर रही है ज़िन्दगी
जो पास मेरे तुम्हारी बहुत बड़ी अलामत है
वादा है आँच नहीं आएगी हमारे प्यार की इमारत को
जैसे रखा था महफूज़ तुमने आज भी वैसे ही सलामत है