केवल बड़ी बड़ी बातें हैं
सपनों वाले दिन और
सपनों वाली रातें हैं।
नेताजी मस्त
जनता त्रस्त
सब चीज़
अस्त व्यस्त।
महंगाई भय भूख
गरीबी अत्र तत्र सर्वत्र।
भीड़ की तुगलकी
फ़रमान
जनता निर्वस्त्र।
राजनीतिक रोटियां हैं
कई बंदर
कई बिल्लियां हैं।
आवाम की उड़ रहीं
गिल्लियाँ हैं।
सब क्लीन बोल्ड ही रहें हैं।
राजा का बेटा राजा
गरीब और गरीब
लोगों के बीच में
फासलें हैं अजीब।
आज़ादी के सतहत्तर वर्षों बाद
भी हालात ज्यों का त्यों है।
इसका जिम्मेदार आम आदमी
खुद है।
बस थोड़ी से लालच में
सब बेच रहें अपना ईमान है।
खादी खाकी में सब ईमानदार नहीं
कईं बेईमान हैं।
पॉवर पोजिशन का गलत फायदा उठाते
बेच रहें ज़मीर हैं।
राजा अकेला क्या करेगा
जब षड्यंत्रकारी उसका हीं
वज़ीर है।
हालात बद से बदत्तर
चोर सेवादार है।
पढ़ाई लिखाई राम भरोसे
फिरभी भौवें ताने बैठा है
ध्यान से देखे राजनीति की हर
शाख पर कोई ना कोई उल्लू बैठा है
कोई ना कोई उल्लू बैठा है....

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




