बिना मेरे ज़िक्र किए उसने समझा है मुझे,
वो और उसका तोहफ़ा बड़ा कीमती है मेरे लिए।
मेरी ज़िंदगी का पहला तोहफ़ा भी वही था,
और अब तक का आख़िरी तोहफ़ा भी वही है।
उसने ही तो जाना कि क्या पसंद है मुझे,
वो जानती थी कि किताबें पढ़ने का बड़ा शौक़ है मुझे।
मैं तो अक्सर लाइब्रेरी से किताबें लेकर पढ़ा करती थी,
और शायद वो ध्यान लगाकर मुझे समझा करती थी ।
एक दिन उसने कहा मुझे
कि तुझे किताबें पढ़ना बहुत पसंद है ना
तेरे लिए एक किताब लाई हूॅं और उसने मुझे एक
छोटी सी किताब दी,
वो किताब भले ही छोटी थी पर मेरे लिए तो पूरी दुनियां थी।
आज भी उसकी याद बहुत आती है,
और उसकी दी वो किताब तो मेरे पूजा घर में पूजी जाती है।
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️