(बाल कविता)
प्यारे जामुन
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मजेदार मीठे रस वाले ।
प्यारे जामुन काले-काले ।।
मस्त पवन में झूम रहे हैं
जैसे करते मुझे इशारे
पूरी डाली सजी हुई है
गुच्छे लटक रहे हैं प्यारे
तोड़-तोड़ कर खाते जीभर
अगर नहीं होते रखवाले ।
प्यारे जामुन काले-काले।।
मन करता इनको फुसलाकर
अपने घर में लेकर अाऊँ
और लगाकर नमक चटपटा
चटखारे ले ले कर खाऊँ
क्या कहने होते तब मेरे
मिल जाते बस स्वाद निराले ।
प्यारे जामुन काले-काले।।
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~राम नरेश उज्ज्वल
मुंशी खेड़ा,
ट्रांसपोर्ट नगर, लखनऊ