मम्मा दूर क्यों हो पास आओ ना
आकर मुझे प्यार से सहलाओ ना
गालों पर मेरे मिठ्ठी दे जाओ ना
मम्मा दूर क्यों हो पास आओ ना
मैं थोड़ी भूखी हूं तुझसे रूठी हूं
मुझको ऐसे सताओ ना आओ मां
आकर अपने हाथों से एक निवाला
खिलाओ ना
मम्मा दूर क्यों हो पास आओ ना
लोरी सुना कर निंदिया को बुलाओ ना
थपकी देकर सपनो में ले जाओ ना
सोकर जब मैं उठूं आकर गले लगा
गोदी में उठा घुम्मी घुम्मी कराओ ना
मम्मा दूर क्यों हो पास आओ ना....
मौलिक रचना
✍️#अर्पिता पांडेय