तन्हां हूं तन्हाई की भीड़ में
भीड़ जैसी मेरी सोच नहीं !!
कसूर क्या था जो गुजर गया
समझ मेरी अभी जगी ही नहीं !!
लम्हां लम्हां वो गुज़ारिश करें
मुराद नींदमें है होश आता ही नहीं !!
वापिस मुड़ना चाहें पर ये क्या..?
लुप्त शक्ति आख़िर छोड़ती ही नहीं !!