मौसमी लेखा से पकती फसलें।
शिक्षा से बेहतर हो जाती नस्ले।।
गैस बाटला पहुँचाने की कोशिश।
फिर भी कहीं कहीं बनते उपले।।
सोलर उपकरण का प्रयोग बढ़ा।
पुराने ज़माने की लालटेन बदले।।
गाँव माँगते रोजगार सरकारों से।
ऑडिट का ढंग नही होते घपले।।
जिनके मुँह में बदबू का प्रकोप।
पायरिया से 'उपदेश' होते पोपले।।
विकास हो रहा मध्यम गति से।
वायदे ज्यादातर देखे गए खोखले।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद