हंसे तो भी जले
रोएं तो निंदा करें
जगमें जंग कर कैसे जिएं
संसार पंगु है
तुच्छ इंसान शक करें
सफ़ाई किस किस को देते फिरे
सावन भादों कहे है बरसे
फिर भी तपन तो जलाती फिरे
व्याकुलता में करारे चैन न मिले
खोजें हरि… क्या मिले ?
प्रमाण भी है परिणाम कहे
फिर बेदर्द करूणा ही क्यों भरे