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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

तुम बहकावा हो कोई – कमलकांत घिरी

तुम बहकावा हो कोई मैं बहक रहा हूं,
तूने छुआ क्या मुझे जो मैं इतना महक रहा हूं,
यक़ीं करो मेरा मैं सच कह रहा हूं,
देखो इश्क करके तुमसे मैं ले क्या-क्या सबक रहा हूं..!

@कमलकांत घिरी ✍️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह! क्या बात है, इश्क करके तुमसे मैं ले क्या क्या सबक रहा हूं... बहुत खूब👌✍️💐🙏😊 लाजवाब

कमलकांत घिरी replied

बहुत शुक्रिया रीना दीदी🙏😊

वन्दना सूद said

वाह वाह !!बहुत खूब

कमलकांत घिरी replied

बहुत शुक्रिया मैम 🙏😊

Lekhram Yadav said

गजब की रचना लिखी है कमलकांत भाई मजा आ गया, आपको सादर नमस्कार

कमलकांत घिरी replied

आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर जी आपको भी मेरा सादर प्रणाम 🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

तूने छुआ क्या मुझे जो मैं इतना महक रहा हूं waah bahut khoob Kant Sir ek dam behtareen Maza Aagaya...💐💐🙏🙏

कमलकांत घिरी replied

बहुत शुक्रिया आर्द्र सर जी, नमस्कार 🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह कमलकांत जी वाह,छा गये,छा गये इश्क करने वालों के साथ यही होता है।

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