उसको तो नशा चढ़ा है बस पीर की फकीरी का।
जानें क्यों उतार फेंका है उसने अपना चोला अमीरी का।।1।।
असर में है बडी उसकी सारी ही रब से मांगी दुआये।
अपने खुदा से सिलसिला है उसका बडा ही करीबी का।।2।।
गरीब की भूँख ना जानें उनसे क्या क्या काम कराती है?।
अमीर क्या जानें आलम उनकी ज़िंदगी की गरीबी का। 3।।
यूँ ही नहीं है फैला ये नूर दुनियाँ में मजहब-ए-इस्लाम का।
सब्र है सबसे बड़ा सारे नबियों में रसूल-ए-नबी का।।4।।
ऐसे नहीं वह गरीब तर्राक्की याफ्ता हो गया आते ही आते शहर में।
ध्यान देता है वह कारोबार में हर छोटी व बड़ी बारीकी का।।5।।
क्या देखी है किसी ने उसकी ज़िंदगी शराफत की।।
डंका पीटता है जो दुनियाँ में बस अपनी शरीफी का।।6।।
सभी कहते थे कि वह बड़ा ही कमजोर दिल का है।
पर उसको तो बड़ा फख्र है वतन पे अपने बेटे की शहीदी का।।7।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




