आँखों में बेवजह आँसू कौन भरना चाहता।
जिन्दगी कितनी भी हो कौन मरना चाहता।।
सोचने भर से गर मुरादें पूरी होने लग जाये।
फिर ज़माने के बर्ताव से कौन डरना चाहता।।
करने वाले करते जिरह बात खोटी जानकर।
ऐसे लोगों की जगह पर कौन ठहरा चाहता।।
कहने को रात कभी ठहरती ही नही 'उपदेश'।
फिर भी अँधेरों के साथ कौन रहना चाहता।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद