फटे हाल गन्दे कपड़े काला कलूटा बेचारा है
मां की नजरों में उसका बेटा तो राजदुलारा है
दिन भर फिरता वह आवारा हाथ साफ करता
दुनियाँ ने उसको लताड़ा मां ने तो पुचकारा है
बाल चांदी हुए हैं सारे लाठी लेकर वो चलता
बूढा हुआ पर वो मां के लिए तो नन्हा प्यारा है
जाने कितनी डिग्रियां उसका ऊंचा ओहदा रहा
मां की झिड़की बिन पर उसका कब गुजारा है
मां नहीं ये खुदा की बेमिसाल नियामत है दास
जाते ही उसके हर पल पर अफसोस हमारा हैlI

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




