ये वक्त भी बहुत बेरहम ही गया है
आजकल न जाने कौनसी धुन में सवार रहता है
चल नहीं दौड़ रहा हो जैसे
किसी अपनी ही दिशा में बढ़े जा रहा है
हवा की तरह अपनी ही मस्ती में बह रहा है
न पूछता है हम से
कि तुमने किस दिशा जाना है
न पूछता है
तुम्हारी मंज़िल कौनसी है
न फुर्सत के दो पल भी हमें देता है
अपनी ही ज़िन्दगी समझ कर बस चले जा रहा है..
वन्दना सूद