तमाम कोशिशों के बावजूद भी कामयाबी मिली नहीं,
फिर भी मैंने कभी चेहरे पे नाकामयाबी की शिकन
आने दी नहीं।
हमेशा मुस्कुराती रही मैं,
जबकि ज़िंदगी में कभी कोई ख़ुशी मुझे मिली नहीं।
कल रात एक उम्मीद थी कि आने वाली सुबह
मेरी ज़िंदगी की सबसे हसीं सुबह होगी,
आने वाली सुबह मैं कामयाबी की पहली सीढ़ी पार
कर गई होगी।
पर ख़्वाब कहां कभी मेरे पूरे हुए जो आज पूरे होते,
आज की सुबह भी मेरे लिए हर सुबह के जैसी ही हुई।
आज की सुबह का बेसब्री से इंतज़ार था मुझे,
ऐसा लग रहा था कि आज सब मिल जायेगा मुझे।
पर ऐसा मेरा नसीब कहां ?
कि जो सोचा वो मिल जाए मुझे।
जो हमेशा से होता आया आज फिर वही हुआ,
आज फिर मेरा ख़्वाब पूरा नहीं हुआ।
मेरा ख़्वाब सिर्फ़ ख़्वाब ही रह गया,
आज फिर जो चाहा वो मुझे नहीं मिला।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐