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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कल एक उम्मीद थी

तमाम कोशिशों के बावजूद भी कामयाबी मिली नहीं,
फिर भी मैंने कभी चेहरे पे नाकामयाबी की शिकन
आने दी नहीं।
हमेशा मुस्कुराती रही मैं,
जबकि ज़िंदगी में कभी कोई ख़ुशी मुझे मिली नहीं।

कल रात एक उम्मीद थी कि आने वाली सुबह
मेरी ज़िंदगी की सबसे हसीं सुबह होगी,
आने वाली सुबह मैं कामयाबी की पहली सीढ़ी पार
कर गई होगी।
पर ख़्वाब कहां कभी मेरे पूरे हुए जो आज पूरे होते,
आज की सुबह भी मेरे लिए हर सुबह के जैसी ही हुई।

आज की सुबह का बेसब्री से इंतज़ार था मुझे,
ऐसा लग रहा था कि आज सब मिल जायेगा मुझे।
पर ऐसा मेरा नसीब कहां ?
कि जो सोचा वो मिल जाए मुझे।

जो हमेशा से होता आया आज फिर वही हुआ,
आज फिर मेरा ख़्वाब पूरा नहीं हुआ।
मेरा ख़्वाब सिर्फ़ ख़्वाब ही रह गया,
आज फिर जो चाहा वो मुझे नहीं मिला।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

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Lekhram Yadav said

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना। अति उत्तम कविता पेश की है आपने, बहुत अच्छा लगा पढ़कर। मगर ये जिन्दगी तो हमेशा परीक्षा ही लेती है और अक्सर जैसा हम सोचते हैं और चाहते हैं, वैसा परिणाम नहीं मिलता। कभी नाउम्मीदी हाथ लगती है तो कभी उम्मीद से परे अच्छे परिणाम मिलते हैं। बस कोशिश करते रहिए, अच्छे कर्म करते रहिए, फल की चिन्ता मत कीजिए। एक नई आशा और कोशिश के साथ आगे बढ़ते रहिए। आपको हार्दिक प्रणाम।

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत आभार आपका 🙏 प्रणाम

Sanjay Srivastva said

"चेहर पर शिकन" नही आई यही आपकी कामयाबी है रीना जी, ढेरों सी शुभकामनाएं मेरा आपके साथ, भावपूर्ण उद्गार.

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji bhaisahab, bahut bahut shukriya apka 🙏🙏 pranaam 💐

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