आजकल ज़माने का,
कुछ अलग ही रंग चल पड़ा है !!
रईसों की मेहफ़िलों में,
बेवकूफ़ियों का जलजला है !!
बंदर भी शरमा जाये ज़िस्म की,
अजीब सी नुमाइशें देखकर !!
करतबें ऐसी-ऐसी कि समझना हुआ मुश्किल,
कौन नहला,और कौन नहले पे दहला है !!
अजीब सा है मदारी और,
अजीब सा लगा मेला है !!
पूछ रही गरीब बाप से उसकी प्यारी बिटिया,
पापा..पिछले कुछ दिनों से आख़िर ये क्या चल रहा है !!
वेदव्यास मिश्र की सवालिया कलम से..
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




