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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

आजकल ज़माने का - सवाल - वेदव्यास मिश्र

आजकल ज़माने का,
कुछ अलग ही रंग चल पड़ा है !!

रईसों की मेहफ़िलों में,
बेवकूफ़ियों का जलजला है !!

बंदर भी शरमा जाये ज़िस्म की,
अजीब सी नुमाइशें देखकर !!

करतबें ऐसी-ऐसी कि समझना हुआ मुश्किल,
कौन नहला,और कौन नहले पे दहला है !!

अजीब सा है मदारी और,
अजीब सा लगा मेला है !!

पूछ रही गरीब बाप से उसकी प्यारी बिटिया,
पापा..पिछले कुछ दिनों से आख़िर ये क्या चल रहा है !!



वेदव्यास मिश्र की सवालिया कलम से..


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत खूब आचार्य जी सुन्दरतम रचना बहुत अच्छा लिखा - प्रणाम स्वीकार करें

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत सुंदर आपकी सवालिया कलम ने तो बहुत ही खूबसूरत सवाल किया है.. रईसों की महफिल में बेवकूफियों का जलजला है.... बहुत बढ़िया 🙏 प्रणाम सुप्रभात

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र जी, बहुत-बहुत शुभाशीष..आप अतिशीघ्र स्वस्थ हों ..इन्हीं दुआओं और शुभकामनाओं के साथ 🍵🍵

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, आजकल यही हो रहा है मैम..अजीब सा लगता है..ये भूल जाते हैं कि समाज का अधिकांश वर्ग अभी भी मध्यमवर्गीय है !! जो भी करें..बंद कमरों में करें..सामाजिक जीवन में ज्यादा प्रचार-प्रसार उचित नहीं !! नमस्कार सुप्रभात मेरी प्यारी बहन 🙏💜💜🙏

डॉ कृतिका सिंह said

Bahut sundar sawal kiya aapne Uttam rachna

Ankush Gupta said

Uttam rachna, ✍️✍️

वेदव्यास मिश्र said

डॉ कृतिका सिंह जी, आपकी उत्साहवर्धक समीक्षा पाकर मन प्रसन्न हो गया 🙏💜💜🙏

वेदव्यास मिश्र said

Ankush Gupta जी, हार्दिक स्वागत आभार भाई 🙏💜💜🙏

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