अगर वो पास हो, तो क्या ही बात होती है,
जो दूर रह के भी छू ले, वो ज़ात होती है।
ना कम में चैन आता है, ना ज़्यादा से राहत,
इश्क़ तो बस इश्क़ है, जो भी हो — बात होती है।
हमने ना पूछा उम्र उसका, ना लिखा हिसाब,
जो दिल को छू गया बस, वही सौग़ात होती है।
ना पहला था, ना आख़िरी — कोई हिसाब ना दो,
जो एक बार बस गया दिल में, वही हयात होती है।
कभी नाम लिया नहीं, कभी भुला ना सके,
ये कैसी उलझनें हैं, जिनमें राहत भी साथ होती है।