गुलाम भारत की आजादी के स्वप्नदृष्टा,
सचमुच ही नेताजी थे सुभाष चन्द्र बोस ,
1943 में आजाद हिंद सरकार गठित ,
15 अगस्त 1947 से पूर्व कदम ठोस,
रेडियो,रेजीमेंट,दूतावास ,डाक टिकट ,
आजाद हिंद मंत्रालय , बैंक मुद्रा कोश,
तिरंगा लहराया अंडमान - निकोबार में,
पराजित अंग्रेजों के उड़ गए प्राण होश,
फिरंगियो भारत छोड़ो की सरगरम हुंकार ,
ब्रिटिश सत्ता शासन को दिया दो टूक संदेश,
नेता देशभक्त थे गुलाम भारत ज़माने के,
रगरग में स्वदेशप्रेम भाव का अनूठा जोश,
लेकिन आधुनिक भारत के तथाकथित नेता,
स्वार्थपूर्ण देशजनसेवा बहुरंगी नकाबपोश,
अगर नेताजी सुभाष चंद्र बोस होते जीवंत ,
आधुनिक मिथ्या राजनेताओं को देते दोष,
करते परिष्करण गिरगिटी राजनेताओं का,
देश की दलगत राजनीति में न पनपता रोष !
✒️ राजेश कुमार कौशल

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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