ये बेवजह कदम जब बहकने लगते हैँ
जन्म जन्म केरिश्ते भी दरकने लगते हैं
बांध दरिया पे चाहे जितने भी बना लो
इक छोटी सी दरार में सरकने लगते हैं
डसने का वरदान लिए खिलोने नहीं ये
मासूम बच्चे हैं पाने को मचलने लगते हैं
ये जिस्म ये जान ये रूह तक गिरवी हुई
दास बचा क्या पाने को तड़पने लगते हैं
कहीं दूर आसमान में जब टूट गया तारा
हम किसी की याद में सिसकने लगते हैं! !

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




