ग़ज़ल
थोड़े बुढ़े थोड़े भद्दे हैं हम।
रोबदार व थोड़े सच्चे हैं हम।
रूठें तो जल्दी से माने नही,
कहते सभी थोड़े बच्चे हैं हम।
झूठों से नफ़रत व भोले पसंद,
महंगे कभी थोड़े सस्ते हैं हम।
मैट्रिक औ इण्टर भी बिए हैं पास,
मांँ के समक्ष थोड़े गधे हैं हम ।
मार-धाड़ करता हूं कभी कभार,
पहना करूं थोड़े कच्छे हैं हम।
माँ मेरी कहती सच्ची है बात,
मिला जूला थोड़े अच्छे हैं हम।
- प्यासा
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The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







