आंखों से पर्दा हटाओ,
धोखेबाजों को पहचान जाओ।
वरना न्याय व्यवस्था पर लगा देंगे पलीता।
अभी भी वक्त है, जाग जाओ।
स्वार्थ की भट्टी में, न्याय जलता है।
चीखता है, चिल्लाता है।
आवाज देता है, ईश्वर को।
और फिर धुआं हो जाता है।
प्रकोप बरस रहा है,
अब भ्रष्टाचारियों पर।
अब न्याय लड़ता है,
जीतता है।
भ्रष्टाचारियों की रेल को ,
जेल में पहुंचाता है।