आज दो बहने एक -दूसरे से बहुत ही दूर हो गई है,
बड़ी बहन का अस्तित्व नहीं कुछ भी फिर भी बड़ी
ही मग़रुर बन गई है।
और छोटी की ग़लती नहीं कुछ भी,
फिर भी आंसू बहाने को मजबूर हो गई है।
छोटी में कुछ खुद के बनाए संस्कार है,
तो कुछ माता -पिता के दिए संस्कार है।
बड़ी बहन के खुद के संस्कारों का तो पता नहीं,
पर उसने अपने माता -पिता के भी नहीं लिए
संस्कार है।
आज दो बहनों का प्यार नफ़रत में सिमट गया ,
आज दो बहनों के बीच का प्यार चूर - चूर हो गया।
छोटी करे हरदम कोशिश रिश्तों को बचाने की,
पर बड़ी ने हमेशा किया वही जिससे रिश्तों का
मान -सम्मान खो गया।
आज खून के रिश्ते तार - तार हो गए,
बड़ी बहन का दिल पत्थर बन गया और
छोटी के साथ सभी के दिल मोम हो गए।
आज जो तकरार दो बहनों के बीच हुई,
उससे तो सभी बहनों के रिश्ते शर्मसार हो गए।
नफ़रत की चिंगारी तो कब से लग चुकी थी
उसके दिल में,
पर छोटी उसमें पानी डालती आई थी।
पर आज जो नफ़रत की ज्वाला भड़की है
उसके दिल में,
उसे बुझाने में आज वो मासूम भी हार गई है।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️