ज़िंदगी का समझ और कविता की आविष्कार है यहां ।
ज़िंदगी का समझ और कविता की आविष्कार है यहां_वसी
ऐ ज़िंदगी तुझे मालूम नहीं कि तू है क्या आज जान ले तू
भलाई तेरी इसमें है निकल जा वर्ना हम तुझे आने नहीं देंगें
तू जो सभी के दिल आती है तौबा कर दे अब न आने से
हम ने तुझे निकाल दिया है आज अपने दिल से तुम्हे _ वसी
मेरी जन्म से पहले तेरा वजूद है कहां_ पहले यह बता हमें
गुमराह लोग तुझसे क्या पूछे हम पूछने का दिमाग़ रखते हैं
नाम ज़िंदगी का हमने दिया है जन्म से पहले तारीख नहीं था
ईसवी बना फिर हिजरी बनाई गई मेरा कमाल है तेरा नहीं है
वसी अहमद कादरी
वसी अहमद अंसारी
25 मई 2025 , रविवार