नए सफर की शुरुआत
एक सफर खत्म हुआ
एक सफर की शुरुआत हुई
फिर नए शहर को दोस्त बनाने चले
बदल जाएगा हवा और पानी
बदल जाएगी संस्कृति की महक
बदल जाएँगे सब जाने पहचाने पंछी
खत्म हो जाएगी लोगों की पहचान
जो नहीं बदलेगा
वो होगा एक आसमाँ
माटी की ख़ुशबू
सूरज की तपश
चन्दा की ठंडक
और एक वो जो हर पल हर क्षण अदृश्य होकर भी हमारे साथ हैं
कुछ अद्वितीय साथियों से ही हर बार हमारे हर सफर का आगाज़ और अन्त खूबसूरत बन जाता ..
वन्दना सूद