मान-मर्यादाओं की दहलीज ;पार करने वाले,
वक्त से पहले नही खुलते ; किस्मत के ताले,
हिम्मत रख ; कुदरत के हैं खेल बड़े निराले ,
उल्टे पांव वापस आ ; इंतजार में हैं घरवाले ,
सुख-दुःख 'एक सिक्का दो पहलू' ; मतवाले,
बीता-वक्त वापिस नही आता ; मुस्कुरा-ले !
मत-भूल ; अंधेरे के बाद ही आते है उजियाले
कमजोर हार जाते है ; जीतते है दिलवाले !
🖋️ राजेश कुमार कौशल