आंसुओं की किसी को जरूरत नही,
लोग जीते हैं अपनी हसी बेचकर,
झूठे मैं मैं गुज़रते बसरते यहां,
अब अपने में ठहरने की आदत कहा,
लोग परेशान है इस कदर दोस्तों,
दूसरों की खुशी की जरूरत नही, ,,आंसुओ,,.
सर्वाधिकार अधीन है