क्या खूब निखरती अयोध्या नगरी
तुलसीदास जी ने बयान की ख़ूबसूरती जैसी
सजती सँवरती हमारी राम जन्म भूमि की धरती वैसी
क्या खूब आस्था लोगों की
न उम्र की सीमा से कोई रुका
न गर्मी सर्दी की कोई चिन्ता
तन की परेशानी से ज़्यादा
आस्था भारी सबके मन की
कौन कहेगा
भक्ति का दौर ख़त्म हो गया
धर्म की राह कमजोर हो गई
जा कर देखो धाम तीर्थ
आज भी धर्म अधर्म पर है भारी
आज भी आस्था सबकी है न्यारी ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है