भाषणों में देते हैं,
देशभक्ति का पाठ,
लेकिन कर्मों में दिखता ।
है सिर्फ स्वार्थ,
जनता को करते ।
हैं गुमराह,
अपनी जेब भरने में।
लगे रहते हैं ,
रात-दिन।
लोकतंत्र का नाम लेकर,
करते हैं अत्याचार।
दमन और छल,
जनता का ।
खून चूसते हैं,
बेखौफ।
अपने लिए ऐ!"विख्यात",
बनाते हैं महल।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




