बाबाओं के चक्कर में हमारे लोग,
भ्रमित चक्की में पिसते बेचारे लोग,
अन्धभक्त गाथाएं सुनते न्यारे लोग,
अज्ञानता की घुट्टी पीते बंजारे लोग,
तन मन धन अर्पित करते प्यारे लोग,
चंगुल में फंसते ही जाते नकारे लोग,
जान मान शान मर्यादा गंवाते लोग,
अठखेलियां रंगरलियां सहते लोग,
लेकिन ढोंगियों को महत्त्व देते लोग,
बार बार बाबाओं से उत्पीड़ित लोग,
न जाने क्यों न समझ पाते सारे लोग ,
क्यों भगवान तुल्य इन्हें पूजते लोग !
🖊️ राजेश कुमार कौशल