खुद्दार बनो या सक्षम बनो
निर्धन बन कर जन्में हैं
पर निर्धन रहकर ही मरना नहीं है
हम को भी मेहनत करके
नसीब को अपने चमकाना है
प्रण ले लिया अब हमनें
पहले अपनी रोटी की व्यवस्था करनी है
जब हो जाए वो दो लोगों की भी
तब जाकर विवाह रचाना है
दो का जब सुधर जाए जीवन
फिर ही परिवार बढ़ाना है ।
अपनी चादर में रहकर ही पाँव पसारना है
कोई ऐब नहीं अब रखना हमनें
जीवन को सही दिशा में ले जाना है
केवल एक रोटी कमाकर ही,नहीं पूरे परिवार को खिलानी है
सक्षम हुए बिना अब,नहीं कोई ज़िम्मेदारी बढ़ानी है
मुफ़्त माँग कर खाना मंज़ूर नहीं हमको
खुद्दार बनना है या फिर सक्षम,पर निर्धनता पर रोना नहीं है
अपने आप को आत्मनिर्भर बनाकर इज़्ज़त से रोटी खानी है
बेशक निर्धन जन्में हैं,पर इसे जीवन की सजा नहीं बनाना है..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




