भावनाओं के जल का मन एक बुलबुला
मन उस बुलबुले की तरह है
जो भावनाओं के जल से घिरा है
यदि भावनाएँ उबलते पानी की तरह हो जाएँ तो मन को जला देती हैं
कुएँ या तालाब के जल जैसे हो जाए तो शुद्ध मन को भी गन्दा कर देती हैं
नदी या झरने के जल के जैसे हो तो मन को बहा कर ले जाती हैं
समुन्दर के जल के जैसे हों तो मन में सैलाब निश्चित है अब मन का बचाव सम्भव नहीं
मन तो चंचल ही है भावनाएँ मन को जहाँ ले जाना चाहें अपने साथ ले जाती हैं
भावनाएँ कल को तो ख़राब कर चुकी होती हैं
यदि नियंत्रित नहीं किया इन्हें तो आज भी उलझ जाएगा
और भविष्य भी बरबाद हो जाएगा
संसार तो ऐसे ही चलेगा
इसलिए कठोरता ही है इसका उपाय
जिसने जीवन को सरल और सहज करना हो उसके लिए ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




