अत्याधुनिक विकास का पथ
मानो स्वर्ण का गतिमान रथ
हवाई जहाज के लिए
अत्याधुनिक रनवे
हर तरह का तामझाम
कार और वाहनों के लिये
चौड़ी चिकनी आधुनिक सड़कें
एक्सप्रेस वे, फ्लाइओवर
इलेवटेड, अंडरग्राउंड
सिग्नल और सुविधाओं से
सुसज्जित सड़कें हैं
कहीं कहीं तो साइकिल
पथ भी बन गए हैं
क्यूंकि अब साइकल
चलाने या दिखाने के
भी कुछ आयाम नये हैं
हर जगह विशाल ट्रैफिक
पुलिस और सब व्यवस्था
बिल्कुल चाक चौबंद है
लेकिन बेचारे
अभागे
वक्त के मारे
पैदल यात्री
के लिए
ना फुटपाथ ना रास्ता
ना छाँव ना पांनी
ना टायलेट ना
आराम के
लिए कोई बेंच
जान जोखिम में डाल
तब कहीं सड़क पार
पैदल यात्री
अस्तित्व ही
कहीं कुछ भी नहीं है
क्यूंकि विकास की
अंधी दौड़ में
शायद यह मान
लिया गया है
देश में अब कोई
बिन वाहन नहीं रहेगा
सड़क पार करने
और शहर में पैदल चलने
के लिए भी कोई नया
आधुनिक सिस्टम बनेगा
अत:सडक या फुटपाथ
पर पैदल चलना भी
यातायात का उल्लंघन
माना जायेगा
इसलिए
अब कोई देशवासी
भूलकर भी कभी
पैदल नहीं चलेगा.....
पैदल नहीं चलेगा