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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

विकास पथ

अत्याधुनिक विकास का पथ
मानो स्वर्ण का गतिमान रथ
हवाई जहाज के लिए
अत्याधुनिक रनवे
हर तरह का तामझाम
कार और वाहनों के लिये
चौड़ी चिकनी आधुनिक सड़कें
एक्सप्रेस वे, फ्लाइओवर
इलेवटेड, अंडरग्राउंड
सिग्नल और सुविधाओं से
सुसज्जित सड़कें हैं
कहीं कहीं तो साइकिल
पथ भी बन गए हैं
क्यूंकि अब साइकल
चलाने या दिखाने के
भी कुछ आयाम नये हैं
हर जगह विशाल ट्रैफिक
पुलिस और सब व्यवस्था
बिल्कुल चाक चौबंद है
लेकिन बेचारे
अभागे
वक्त के मारे
पैदल यात्री
के लिए
ना फुटपाथ ना रास्ता
ना छाँव ना पांनी
ना टायलेट ना
आराम के
लिए कोई बेंच
जान जोखिम में डाल
तब कहीं सड़क पार
पैदल यात्री
अस्तित्व ही
कहीं कुछ भी नहीं है
क्यूंकि विकास की
अंधी दौड़ में
शायद यह मान
लिया गया है
देश में अब कोई
बिन वाहन नहीं रहेगा
सड़क पार करने
और शहर में पैदल चलने
के लिए भी कोई नया
आधुनिक सिस्टम बनेगा
अत:सडक या फुटपाथ
पर पैदल चलना भी
यातायात का उल्लंघन
माना जायेगा
इसलिए
अब कोई देशवासी
भूलकर भी कभी
पैदल नहीं चलेगा.....
पैदल नहीं चलेगा




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

आज ज्यादा रौशनी की चाहत ने हमने दिये जलाने की फितरत ही गंवा दी। सचमुच आपकी कविता बेहद खूबसूरत भावपूर्ण है सर जी। क्या बात क्या बात क्या बात।

Shiv Charan Dass said

आपका बहुत बहुत आभार मनोज जी अब दिए बुझाने या फिर हैडलाइट जलाने की फितरत ज्यादा है. .... धन्यवाद

Supriya sahu said

बहुत सुंदर रचना सर 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Shiv Charan Dass replied

प्रणाम और आपका धन्यवाद

वन्दना सूद said

बहुत सही लिखा आपने sir लोग आज स्वयम् ही पैदल चलने से बचने लगे हैं

Shiv Charan Dass replied

बहुत बहुत आभार एवं अभिवादन वंदना जी

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