👉बह्र - बहर-ए-रमल मुसम्मन महज़ूफ़
👉 वज़्न - 2122 2122 2122 212
👉 अरकान - फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाइलुन
👉 क़ाफ़िया - आना
👉 रदीफ़ - सीख लो
गम सभी अपने ज़माने से छुपाना सीख लो
वक़्त हो कितना भी मुश्क़िल मुस्कुराना सीख लो
ख़र्च होते जा रहे हो दूसरों के वास्ते
वक़्त अपने साथ भी थोड़ा बिताना सीख लो
कब तलक ख़ुश झूठ से होते रहोगे ज़ीस्त में
वक़्त है अब भी नज़र सच से मिलाना सीख लो
ये अंधेरे चीर कर देते रहेंगे रौशनी
बस चिरागों को हवाओं से बचाना सीख लो
चाहते हो जिंदगी में कुछ अगर करना बड़ा
डर से अपने इक दफ़ा नज़रें मिलाना सीख लो
नेकियाँ डालो न दरिया में युहीं तुम दोस्तों
अब भला करके किसी का तुम जताना सीख लो
हाथ का है मैल ये कहने से पहले ज़ीस्त में
चार पैसे 'शाद' मेहनत से कमाना सीख लो
©विवेक'शाद'