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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

तेरी बदमाशी का सूरज -ताज मोहम्मद

तेरी बदमाशी का सूरज चाहे जितना मर्जी बुलंदीं पर चमके।
हमारी हदों में गर चमका तो यह आफताब डूब जाएगा।।1।।

मत जाना मेरी खामोश शख्शियत पर कोई ना मुझको पढ़ पाया।
मैं समंदर हूँ आग का अगर पास आया तो जल जायेगा।।2।।

तू नुमाइशें कर चाहे जितनी अपनी सरहदों के अंदर।
हमारीं जदो में गर किया तो ढेर राख का बन जाएगा।।3।।

हँसी तेरे चेहरे की संभाल कर रख अच्छी लगती है।
मैं शैलाब हूँ दुखों का सामने हँसा तो गमों से भर जाएगा।।4।।

चुपचाप खुशी से चला तू निज़ाम अपने शहर का।
तूने दिमाग गर चलाया तो मेरी नज़रों में चढ़ जाएगा।।5।।

खुदा ने बक्शा है अगर तुझको कोई भी मर्तबा ज़िन्दगी में।
इसको ला आवाम के काम वरना ये तो कुफ्र बन जायेगा।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Shyam Kumar said

Waah bhai jaan... bahut achaa likha

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया।

रीना कुमारी प्रजापत said

अति सुन्दर

ताज मोहम्मद replied

धन्यवाद मैम।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

ताज साहब बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति , आप यकीन नहीं करेंगे कल मेरी यही मनोदशा थी जिसे में किसी से चीख चीख कर कहना चाहता था, लेकिन चीखकर कहना मूर्खता होती है आपने अपनी ग़ज़ल में मेरी पूरी की पूरी मनोस्थिति समाहित कर दी, पढ़ने के बाद शुकुन मिला , अभी अभी अपने डॉक्टर से कन्सल्टेशन लेकर दवा ली है, वो पता नहीं कब असर करेगी, आप की ग़ज़ल ने वास्तव में दवा का काम कर दिया

ताज मोहम्मद replied

आप भी भाई जी ऐसी बात करते है मैं इतना भी काबिल नहीं हूं ये आपका नजरिया है जो लोगों पर प्रेम की बारिश करता है। बहुत बहुत शुक्रिया।

Manju Sharma said

Bahut sundar kha...kabhi kabhi jab paresan krte hain log to unko yahi khne ka man krta ha jo aapne likha ha.

ताज मोहम्मद replied

आपका ह्रदय से धन्यवाद।

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