मन का भटकाव रोकेगा कैसे।
खुद पर भरोसा रखेगा कैसे।।
आँखें अचंभित हो गई मिल के।
दिल डगमगाया रोकेगा कैसे।।
इश्क किसी किसी के नसीब में।
जब कदम उठ गए रोकेगा कैसे।।
ज़माना कुछ तो कहेगा 'उपदेश'।
अनदेखा कर ले रोकेगा कैसे।।
नजर मंज़िल पर विचार मन में।
आशिकी का भाव रोकेगा कैसे।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद