पक्ष :- फिल्मों की दुनिया में अनेक फिल्में ऐसी आती जो किसी एक खास वर्ग को प्रभावित करती है, कुछ फिल्में युवाओं को प्रेरित करती है, कुछ फिल्में समाज के विभिन्न मुद्दों को और समाज की तात्कालिक मानसिक स्थिति को दर्शाती है, कुछ शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा देती है, कुछ फिल्में प्रेमी वर्ग के दिल को टटोलती है, मगर भारत में ही ऐसी कुछ फिल्में हैं जो वास्तव में किसी इंसान के वास्तविक मानस को पूरे समाज के सामने लाकर खड़ा करती है,
ऐसी ही आज के समय की तात्कालिक जो फिल्म है,"एनिमल"यह फिल्म हूबहू तात्कालिक मानव की मानसिक दशाओं को बताती है, हमारे देश में जो आज का दौर है उसमें एक सबसे बड़ा वर्ग युवा वर्ग का और उसके मन में हमेशा एक सवाल आकर खड़ा होता है, कि उसके समक्ष वो क्या है, उसे आज के समय में कैसी शिक्षा को प्रोत्साहित करना चाहिए, और और वह प्रेम को किस परिभाषा के रूप में अपने भीतर आत्मसात करें, एनिमल फिल्म शुरुआत से लेकर अंत तक उसे मानव की मानसिक दशाओं को ही दर्शाती है कि जब एक इंसान अंदर से बिल्कुल टूट चुका है और ना उसे पर आज की शिक्षा का कोई प्रभाव पड़ता है ना ही उसमें कोई प्रेम की झलक, और जब उसके अंदर से जीने का प्रश्न ही खत्म हो जाता है, तो वह अपने अंदर की कमियों को और अपने अंदर की लाचारी को खत्म कर एक विध्वंस का रूप ले लेता है, इस फिल्म के लिए मेरा पक्ष इतना सा है हमारे देश में लोगों की मानसिक दशाएं बहुत ही विकृत हो चुकी है और उनको सही दिशा दिखाने का कार्य कोई नहीं कर रहा है।।
विपक्ष :- ऐसी फिल्में देश की तात्कालिक स्थिति को तो दर्शाती है एक मानसिक दशा को तो दर्शाती है तथा एक मानव वर्ग की रुचियों का समूह तो है मगर इसके विपरीत इसके परिणाम को देखें तो इस एक फिल्म का और ऐसी अनेक फिल्मों का जो प्रभाव देश के लोगों पर पड़ता है, उससे उनकी मानसिक विकृति को एक अनिवार्यता का गुण प्राप्त हो जाता है, उन्हें लगता है कि उनकी स्वतंत्रता को अगर बाधित किया जाता है, तो वह हर समय के लिए विध्वंसक रूप में तैयार रहेंगे, इससे वह लोग अपने लिए तो तैयार रहेंगे पर और लोगों के लिए वह लोग उनकी रचनात्मकता के लिए बाधित करेंगे, आता है ऐसी फिल्में एक दो बार के अंतराल में ठीक है लेकिन अगर लगातार ऐसी फिल्मों का निर्माण होता है तो देश के लिए परिणाम गलत है, ऐसी फिल्मों में कुछ बिंदुओं का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि किसी की मानसिक स्थिति को एक अनिवार्यता की पद्धति प्राप्त न हो जाए, और ऐसी फिल्मों का देश में निर्मित होना देश में उसकी शिक्षा पद्धति की कमी के कारण, अतः वहां की शिक्षा पद्धति बिल्कुल कमजोर है जो अपने ही शिष्यों की मानसिक स्थिति का पता ना लगा पाए।।
- ललित दाधीच।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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