शहर क्यों धुआँ धुआँ सा है
था आदमी अब धुआँ सा है
दिल में छाले, आँखों में पानी
क्यों सांसों में धुआँ सा है
ले गया जो बचा था बाकी
शहर में बचा धुआँ सा है
कैसे देखे कोई किसी को
फैला हर तरफ धुआँ सा है
कब माँगा था हमने खुदा से
जो मिला है ये धुआँ सा है
कभी गोरा कभी कला सा
हर शख्श अब धुआँ सा है