बनारस की गलियों सा
वो बनारस की गलियों सा खूबसूरत है,
मैं उन गलियों में घूमता आवारा हूं,
वो अलखनंदा के जैसी शांत है,
मैं समंदर में उठती लहरों का तूफान हूं,
वो आसमान में उड़ती हुई बादल पानी की,
मैं जोरों से चमकता हुआ बिजली हूं,
वो लीन है महादेव की भक्ति में,
मैं उसमें खोया हुआ पागल हूं...।।
- सुप्रिया साहू