कविता - सत्य में आधारित....
जब आदमी जिंदा है
हर बखत उसे रुलाते हैं
जब आदमी मरता है
उसके पास रोने पहुंच जाते हैं
हकीकत में यहां
कोई काम का नहीं है
सत्य में आधारित नाटक
हम सब की यही है
सत्य में आधारित नाटक
हम सब की यही है.......
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