निज जननी की जीवन में जो सेवा करे।
मिलता है उसे जीवन में भाग्य से भी परे।।
जननी की जो दुआ पाए न दुनियां से डरे।
माँ सन्तान को कभी न दिल से यूँ दूर करे।।
माँ है जो हमको बहुत पहले से जानती है।
मेरा बच्चा है भूखा शीघ्र पहचान लेती है।।
उसका बच्चा रहे सुखी यही दुआ करती है।
बच्चे को सुख देके सब दुःख सह लेती है।।
माँ थककर भी घर के सारे काम करती है।
माँ बच्चों की खातिर निज रूप भुलाती है।
माँ सभी को खिलाके फ़िर बाद में खाती है।
माँ अपने बच्चों पर अपार प्यार लुटाती है।।
डर कैसा जीवन में जो है माँ का आशीर्वाद।
जीवन में माँ की दुआ से वो रहेगा आबाद।।