चलो अभी घर चलते हैं।।
हवाओं में नमी है,
बस तेरी कमी है,
किसी नगमे को याद है हमारी कहानी,
कहानी के गीत यही है,
ऐसे फैसले हमारे झूठे हैं,
तेरी कहानी यही है,
पलकों में छुपा ले कितने ही झूठ,
नयनों में बहते सच के प्रपात यही है,
तेरी कहानी में मेरे शब्द है,
कहानी का सार यही है,
इन शब्दों की क्या निशानी है,
निशानी की पहचान यही है,
अब बता नहीं सकता कितना घुट रहा हूं, तेरे दीवाने पन से,
दीवानगी का प्यार यही है,
इनके एहसास भी अभी अधूरे हैं,
दिल की तो बात अभी दूर है,
दूरी इतनी असहनीय,
कितनी बातें अभी हमें करनी है,
यह तो वही बात हुई,
जब हम पहली बार मिले थे, तो सोच में डूबे हुए थे;
आज जब मिले हैं, तो सोच ही डूबी हुई है,
अब यह प्यार इतना सच्चा है कि किसी के कहने पर भी नहीं रुकने वाला,
अब तो एहसास भी इतना सच्चा है की फासले इतने गहरे नहीं,
वो प्रेम भी अब पुराना नहीं जो दीवानगी को भूल जाए,
हम आंसुओं में भी तुम्हारा नाम लेते हैं,
लेते हैं मगर कितने लम्हे अभी तो यह भी बाकी है,
बाकी है नए सफर, नई दुनिया
दुनिया की क्या कीमत,
हम भी तो दुनिया के हैं,
गुलशन भी यही रहता है,
इनमें वह कलियां हंसती, मुस्कुराती हैं;
शायद आज हमारा अंतिम लम्हा है,
जो प्यार के घर संजोने में लगा है,
प्रेम भी तो हमें छोड़ने की फिराक में है,
क्या पता आज हमने जो प्रेम किया वो हमारी तन्हाई बन जाए,
चलो अभी घर चलते हैं।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




