दिल मेरा सदा, उनकी तरफदारी में रहा
खुदगर्ज़ सा था, तो कुछ गद्दारी में रहा..।
कई धोखे दिए, वक्त पड़ा जब भी मुझको..
अपनी जान में तो, मैं बड़ी होशियारी में रहा..।
यूं तो मुझे होशोहवास में रखा ज़ेहन ने मेरे..
मगर कभी कभी बदगुमानी की ख़ुमारी में रहा..।
जाने किस बात का ज़माने ने एहसान किया मुझ पर..
हर सांस का सूद दिया, फिर भी बहुत कुछ उधारी में रहा..।
हमने हाथ तो रोक रखे थे, उसूलों की फ़िक्र में..
मगर ये दिल तो कहते कहते भी इश्क़ की तलबगारी में रहा..।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




