"ग़ज़ल"
जब आदम ज़मीं पे आए हव्वा भी साथ आई!
ज़िंदगी की शक्ल में सज़ा भी साथ आई!!
मर्द-ओ-औरत की जोड़ी यूॅं धरती पे आ गई!
फिर जब बे-वफ़ाई आई वफ़ा भी साथ आई!!
उम्र तमाम हो गई तिरे इन्तज़ार में!
तुम आए जिस घड़ी क़ज़ा भी साथ आई!!
ज़मीं पे जब तू आई ऐ हुस्न-ए-बेकराॅं!
ये शबाब जान-लेवा ये अदा भी साथ आई!!
दुनिया के सारे ग़म तिरे नाम हैं 'परवेज़'!
मैं पैदा हुआ जिस दम ये निदा भी साथ आई!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad