क्या कल मेरा ख़्वाब पूरा होगा,
या फिर ख़्वाब, ख़्वाब ही रहेगा।
क्या कल हक़ीक़त रूबरू होगी मुझसे,
या कल मिलेगी वही ज़िल्लत मुझे।
क्या कल फूल खिलेगा जीवन में,
या कल भी काॅंटे ही मिलेंगे।
क्या कल राहों में कुछ रोशनी होगी,
या कल भी होंगे अंधेरे गलियारों में।
क्या कल ज़िंदगी संवर जाएगी,
या आज ही की तरह खाएगी ठोकरें।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐