जंगें आज़ादी में सिर्फ वीरों के
गाथाओं को दोहराने से क्या होगा।
कुछ नहीं होगा बस टाईम पास होगा।
गणतंत्र स्वतंत्र दिवस दिवस नहीं
अब एक इवेंट ही गया है।
शादी विवाहों की तह हीं इसका
मैनेजमेंट ही गाया है।
देशभक्ति चूल मस्ती फुल हो गया है।
आज़ादी के ७७ वर्षों बाद भी
हर वर्ष वही सब दोहराई जाती है।
कुछ पतंगें उड़ा लीं जाती हैं
कुछ मिठाइयां खा लीं जाती हैं।
और हैप्पी इंडिपेंडेंस डे मना ली जाती है।
इससे क्या होगा अगर वाकई देशभक्ति है तो..
होनी चाहिए अपने जिम्मेदारियों का एहसास।
होनी चाहिए अभिव्यक्ति का एहसास
होनी चाहिए सबकी चाह
निकलने नहीं देनी चाहिए किसी की आह।
जात पात धर्मांधता से उठ कर
सिर्फ़ भारतीयता का होना चाहिए एहसास।
कोई आम ना हो सब हों ख़ास ।
हो सबका साथ सबका सम्मान ।
सबका हो गुणगान......
तभी देश बनेगा महान...
तभी देख बनेगा महान...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




