कविता : डिनर....
प्रिय मुझे तुम ने सदा
के लिए खो चुकी
तुम किसी और
दूसरे की हो चुकी
फिर भी प्रिय आज रात
को मेरे घर पर आओ
डिनर पर खाना मेरे
साथ बैठ कर खाओ
उसके बाद मेरे घर
रुकना है तो रुकना
अगर जाना है तुम
अपने घर को जाना
अगर जाना है तुम
अपने घर को जाना.......
netra prasad gautam