साँसों का आना जाना खूब समझते
इंतजार के वक्त धड़कन नही समझते
बस तुम ही रहते हो मजबूर बहुत
काश उस घड़ी तुमसे मिले नही होते
तुम जाने किस रास्ते आते ख्यालो में
मेरा मन चाहता तुम्हें तुम नही समझते
करामात वक्त की जरूरत आसमानी
बीते साल क्या समझेंगे नये नही समझते
खुद को समझाते समझाते थक गई
हासिल ना होने की तासीर नही समझते
मिला तो बहुत कुछ जिन्दगी में 'उपदेश'
अन्दर की खामोशी आज भी नही समझते
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




